Navdurga – Durga Navratri Puja: Significance, Rituals, and Benefits

Navratri, meaning "nine nights," is one of the most sacred Hindu festivals devoted to the worship of Goddess Durga. During these nine auspicious days, nine different forms of Durga, known as **Navdurga**, are revered. These forms symbolize feminine power (Shakti), each representing unique virtues and spiritual qualities.Download Navratri App.

Spiritual Essence of Navratri

Navratri is not just about fasting, feasting, and dancing; it is a powerful spiritual journey that purifies the mind and strengthens inner virtues. It signifies the victory of good over evil, light over darkness, and knowledge over ignorance. Devotees undertake this spiritual practice to invoke divine energies and purify their karma.

Main Rituals During Durga Navratri Puja

  • Kalash Sthapana (Ghatasthapana): Initiates the puja with a pot symbolizing Goddess Durga's presence.
  • Navdurga Archana: Each day is devoted to one of the nine forms with special mantras and offerings.
  • Fasting: Devotees observe fasts for physical and spiritual purification.
  • Daily Aarti & Bhajan: Morning and evening aartis energize the space with divine vibrations.
  • Kanya Puja: On Ashtami or Navami, nine young girls are worshipped as symbols of Navdurga.

Benefits of Observing Durga Navratri Puja

Navratri Puja holds immense benefits for physical, mental, and spiritual well-being. It aligns the individual with cosmic energy and brings harmony in life.

  • Spiritual Awakening: Helps elevate your consciousness and opens the third eye chakra.
  • Emotional Cleansing: Removes negative emotions like anger, fear, and ego.
  • Material Prosperity: Invoking Mahalakshmi during Navratri attracts abundance and wealth.
  • Health & Vitality: Fasting detoxifies the body, while chanting purifies the aura.
  • Success in Life: Durga blesses devotees with strength and determination to overcome challenges.

मां दुर्गा को सबसे प्रिय हैं ये 4 सरल मंत्र,मिलेगी सफलता

1.
* सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

2.
* ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

3.
* या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

* या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

* या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

* या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

* या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

* या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

* या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

4.
* नवार्ण मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अधिक से अधिक अवश्‍य करें।

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  • नवरात्रि: देवी पूजन की सही और सरल विधि🪶🪶?


    माता दुर्गा के 9 रूपों की साधना करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कई साधक अलग-अलग तिथियों को जिस देवी की तिथि हैं, उनकी साधना करते हैं। नवरात्री में घट स्थापना का बहुत महत्त्व है। नवरात्री की शुरुआत घट स्थापना से की जाती है।कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु गले में रूद्र , मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।

    शैलपुत्री

    शैलपुत्री मां दुर्गा का प्रथम स्वरुप हैं। मान्यता है कि शक्ति की प्रथम उत्पत्ति शैलपुत्री के रूप में ही हुई थी। नवरात्रि के पहले दिन इनकी ही पूजा करनी चाहिए। मां के सामने धूप, दीप जलाएं और देसी घी का दीपक जलाकर मां की आरती उतारें। इसके बाद शैलपुत्री माता की कथा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इस दिन मां को गाय के घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद शाम के समय मां की आरती कर उनका ध्यान करें।
    ऊं शैलपुत्र्यै नम:।:
    या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्र्यै संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    ब्रह्मचारिणी

    नवरात्रि के दूसरे दिन मां भगवती के द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है। सुबह पूजा के समय अपने हाथों में एक फूल लेकर देवी का ध्यान करें। इसके बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं, फिर फूल, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें। देवी को सफेद और सुगंधित फूल प्रिय हैं। इसके अलावा आप कमल का फूल भी चढ़ा सकते हैं।
    ऊँ ब्रह्मचारिण्यै नम:
    या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    चंद्रघंटा

    नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के रूप की पूजा की जाती है। गंगाजल से स्नान कराकर, धूप-दीप, रोली, फूल और फल अर्पित करें। मां का ध्यान करते हुए ऊं चंद्रघण्टायै नम: का जप करें।
    पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

    कूष्मांडा

    माता कूष्मांडा को जल व पुष्प अर्पित करें। हरे रंग के आसन पर बैठें और कद्दू के हलवे का भोग लगाएं।
    ऊं कूष्माण्डायै नम:
    या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

    स्कंदमाता

    स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर गंगाजल से शुद्धिकरण करें। माता को केला प्रिय है, इसलिए उन्हें केले का भोग लगाएं।
    या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
    ऊं स्कंदमात्र्यै नम: ।।

    कात्यायनी

    कात्यायनी देवी की पूजा लाल या पीले वस्त्र पहन कर करें। घी का दीपक, पुष्प, पीले फूल और कच्ची हल्दी चढ़ाएं।
    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
    ऊं स्कन्दमात्र्यै नम:

    कालरात्रि

    मां कालरात्रि की प्रतिमा को कुमकुम, लाल पुष्प, नींबू की माला अर्पित करें। गुड़ का भोग लगाएं।
    या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
    ॐ कालरात्र्यै नम:

    महागौरी

    महागौरी की प्रतिमा को सफेद कपड़े पर स्थापित करें। सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। हलवा और चने का भोग लगाएं।
    श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
    ऊं महागौयैं नम:

    सिद्धिदात्री

    कलश की पूजा कर सभी देवी-देवताओं का ध्यान करें। मां को मौसमी फल, पूड़ी, खीर, नारियल, चना, हलवा का भोग लगाएं।
    या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
    ऊं सिद्धिदात्र्यै नम:

    नवरात्रि : देवी पूजन की सही और सरल विधि🪶🪶

    शक्ति के लिए देवी आराधना की सुगमता का कारण मां की करुणा, दया, स्नेह का भाव किसी भी भक्त पर सहज ही हो जाता है। ये कभी भी अपने बच्चे (भक्त) को किसी भी तरह से अक्षम या दुखी नहीं देख सकती है। उनका आशीर्वाद भी इस तरह मिलता है, जिससे साधक को किसी अन्य की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है। वह स्वयं सर्वशक्तिमान हो जाता है।> > इनकी प्रसन्नता के लिए कभी भी उपासना की जा सकती है, क्योंकि शास्त्राज्ञा में चंडी हवन के लिए किसी भी मुहूर्त की अनिवार्यता नहीं है। नवरात्रि में इस आराधना का विशेष महत्व है। इस समय के तप का फल कई गुना व शीघ्र मिलता है। इस फल के कारण ही इसे कामदूधा काल भी कहा जाता है। देवी या देवता की प्रसन्नता के लिए पंचांग साधन का प्रयोग करना चाहिए। पंचांग साधन में पटल, पद्धति, कवच, सहस्त्रनाम और स्रोत हैं। पटल का शरीर, पद्धति को शिर, कवच को नेत्र, सहस्त्रनाम को मुख तथा स्रोत को जिह्वा कहा जाता है। इन सब की साधना से साधक देव तुल्य हो जाता है। सहस्त्रनाम में देवी के एक हजार नामों की सूची है। इसमें उनके गुण हैं व कार्य के अनुसार नाम दिए गए हैं। सहस्त्रनाम के पाठ करने का फल भी महत्वपूर्ण है। इन नामों से हवन करने का भी विधान है। इसके अंतर्गत नाम के पश्चात नमः लगाकर स्वाहा लगाया जाता है। हवन की सामग्री के अनुसार उस फल की प्राप्ति होती है। सर्व कल्याण व कामना पूर्ति हेतु इन नामों से अर्चन करने का प्रयोग अत्यधिक प्रभावशाली है। जिसे सहस्त्रार्चन के नाम से जाना जाता है। सहस्त्रार्चन के लिए देवी की सहस्त्र नामावली जो कि बाजार में आसानी से मिल जाती है कि आवश्यकता पड़ती है।

    लाल रंग का आसन🪶🪶

    लाल रंग का आसन लाल रंग मां दुर्गा का सबसे खास रंग माना जाता है. इसलिए पूजा शुरू करने से पहले आसन के तौर पर कोई भी वस्त्र बिछाने से अच्छा है कि लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल किया जाए. इसके अलावा मां को लाल चुनरी और कुमकुम का टीका लगाना शुभ है. इसके अलावा ये चीजें भी जरूरी हैं. - मिट्टी का पात्र और जौ - साफ की हुई मिट्टी - जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश - लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली - साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के - अशोक या आम के पांच पत्ते - मिट्टी का ढक्कन - पानी वाला नारियल - लाल कपड़ा या चुनरी, सिंदूर - फूल और फूल माला, नवरात्र कलश खाली ना चढ़ाएं लाल चुनरी मां दुर्गा को खाली चुनरी कभी ना चढ़ाएं. चुनरी के साथ सिंदूर, नारियल, पंचमेवा, मिष्ठान, फल, सुहाग का सामान चढ़ाने से मां खुश होती हैं और आर्शीवाद देती है. मां दुर्गा की चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल चढ़ाना चाहिए. अखंड ज्योति के लिए अगर आप नवरात्र‍ि में अखंड ज्योति जलाना चाहते हैं तो पीतल या मिट्टी का दीया साफ कर ले. जोत के लिए रूई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल जरूर रखें. हवन के लिए हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा, चावल

    Price of this Puja is Approx Rs.2100 - 4100🪶

    Navdurga Forms

    Day Goddess Form Color Blessings
    Day 1 Shailputri Red Strength and Stability
    Day 2 Brahmacharini White Devotion and Wisdom
    Day 3 Chandraghanta Royal Blue Courage and Fearlessness
    Day 4 Kushmanda Yellow Energy and Vitality
    Day 5 Skandamata Green Motherly Protection
    Day 6 Katyayani Grey Victory over Enemies
    Day 7 Kalaratri Orange Destruction of Evil
    Day 8 Mahagauri Pink Peace and Purity
    Day 9 Siddhidatri Sky Blue Spiritual Powers

    Modern Relevance of Navratri

    Even in today’s digital age, the essence of Navratri is more relevant than ever. It offers a break from routine, promotes introspection, and unites communities through celebration. The colors, rituals, and discipline of Navratri bring about a structured and conscious lifestyle. It also reinforces the idea of feminine power, resilience, and divinity.

    Tips for an Effective Navratri Puja

    • Maintain purity of mind and home during the nine days.
    • Chant “Ya Devi Sarvabhuteshu” daily for emotional strength.
    • Light a diya (lamp) each evening and meditate on the form of the goddess.
    • Practice charity and kindness during this period to multiply blessings.
    • Stick to satvik (pure vegetarian) food for spiritual alignment.

    Conclusion

    The nine nights of Navratri are not just about religious rituals but a journey toward transformation, devotion, and empowerment. Embracing Navdurga in our hearts invokes divine strength and inner peace. By performing Durga Navratri Puja with sincerity, we not only gain material prosperity but also open doors to spiritual enlightenment.

    Frequently Asked Questions (FAQs)

    1. Q. Can I do Navratri Puja at home?
      Yes, you can perform a simple puja with kalash, diya, and daily prayers to the respective Goddess.
    2. Q. What if I miss a day of fasting?
      It’s best to continue with prayers. The intention is more important than the strict observance.
    3. Q. Which color should I wear on Navratri days?
      Each day has a specific color. You can refer to the table above and follow accordingly.
    4. Q. Are non-vegetarian foods allowed during Navratri?
      No, traditional Navratri practice recommends a sattvic diet without meat, onion, or garlic.
    आवश्यक सुचना : Vedic Puja ना किसी मंदिर या ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करता है| ना किसी प्रसाद वितरण और निर्माता से जुड़ा हुआ है | हम सिर्फ स्थानीय मंदिर के पुजारियों के द्वारा आपको पूजा की सेवा उपलब्ध कराते है|