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Shiv Tandav Stotram | रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र

Shiv Strotam is a revered hymn dedicated to Lord Shiva, one of the principal deities in Hinduism. This stotra is a part of the rich Vedic tradition and is believed to bring spiritual benefits and peace to those who recite it with devotion.This hymn holds great significance as it pays homage to Shiva, who is regarded as one of the primary gods in Hinduism and the supreme deity in Shaivism.

How to Recite Shiv Tandav Stotram

To recite Shiv Tandav Stotram effectively, follow these steps:

  1. Find a Quiet Place: Choose a calm and quiet environment free from distractions.
  2. Cleanse Yourself: Take a bath or wash your hands and feet before recitation.
  3. Use a Prayer Mat: Sit on a clean mat or cloth facing the north direction.
  4. Focus on Shiv Tandav: Light a lamp or incense and focus your mind on Shiv.
  5. Recite with Devotion: Chant the Shiv Stotram with sincerity and devotion.

Shiv Tandav- शिव तांडव स्तोत्रम्

Shiv-stotam in astrology
जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥

उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है, और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है, और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है, भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें।

जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥

मेरी शिव में गहरी रुचि है, जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है, जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं? जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है, और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं।

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे, अद्भुत ब्रह्माण्ड के सारे प्राणी जिनके मन में मौजूद हैं, जिनकी अर्धांगिनी पर्वतराज की पुत्री पार्वती हैं, जो अपनी करुणा दृष्टि से असाधारण आपदा को नियंत्रित करते हैं, जो सर्वत्र व्याप्त है, और जो दिव्य लोकों को अपनी पोशाक की तरह धारण करते हैं।

जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥

मुझे भगवान शिव में अनोखा सुख मिले, जो सारे जीवन के रक्षक हैं, उनके रेंगते हुए सांप का फन लाल-भूरा है और मणि चमक रही है, ये दिशाओं की देवियों के सुंदर चेहरों पर विभिन्न रंग बिखेर रहा है, जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढंका है।

सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

भगवान शिव हमें संपन्नता दें, जिनका मुकुट चंद्रमा है, जिनके बाल लाल नाग के हार से बंधे हैं, जिनका पायदान फूलों की धूल के बहने से गहरे रंग का हो गया है, जो इंद्र, विष्णु और अन्य देवताओं के सिर से गिरती है।

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि की दौलत प्राप्त करें, जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक पर जलने वाली अग्नि की चिनगारी से नष्ट किया था, जो सारे देवलोकों के स्वामियों द्वारा आदरणीय हैं, जो अर्ध-चंद्र से सुशोभित हैं।

करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

मेरी रुचि भगवान शिव में है, जिनके तीन नेत्र हैं, जिन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अग्नि को अर्पित कर दिया, उनके भीषण मस्तक की सतह डगद् डगद्... की घ्वनि से जलती है, वे ही एकमात्र कलाकार है जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तन की नोक पर, सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण हैं।

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

भगवान शिव हमें हर सुख और समृद्धि प्रदान करें, जो भक्तों को हर दुःख से बचाते हैं, जो सृष्टि की सबसे ऊँचाई पर आदरपूर्वक स्थापित हैं, जिनके साक्षात दर्शन से समस्त समस्याओं का अंत होता है।

प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है, पूरे खिले नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ, जो पुरातन काल के कालियों से अत्यंत धन्य हैं, उन महादेव के प्रति मेरी श्रद्धा सदा बनी रहे।

अपालविकाशमुखस्तु व्रणाशवर्णधरे देवार्यप्रभाकरे दिशामधस्तले दधः।
हनूतु बन्धुकांथपालेश्वरप्रणाधिकं हरस्तु चिराय सुरार्तिरत्रजातुकः ॥१०॥

भगवान शिव हमें हर सुख और समृद्धि प्रदान करें, जो भक्तों को हर दुःख से बचाते हैं, जो सृष्टि की सबसे ऊँचाई पर आदरपूर्वक स्थापित हैं, जिनके साक्षात दर्शन से समस्त समस्याओं का अंत होता है।

महाद्वितीयसिद्धिभेद प्रकट्यप्रसिद्धसे जगत्सुकंब्दधुरान्नहं त्विहैवमुख्यसंज्ञा।
चिरशीतकं न केवल जनमंत्रतेलानामधुस्कर: सितामधुच्छितां बभवस्यायुरस्तु ॥११॥

भगवान शिव हमें दीर्घायु और समृद्धि प्रदान करें, वे ही सिद्धियों के सबसे श्रेष्ठ हैं, जो हमें सच्चे मार्ग पर लाते हैं, जो हमें आत्मा की शांति और शीतलता प्रदान करते हैं।

अक्षमलक्षमातमान्तिनां चिराननधर्षसंगम: खलमधिक शपथनीकृतिः।
सुधांधेश्वरार्चितो हरहरप्रसिद्धसिद्धनन्तयः स्मरत्यमनंतरं प्रजासमद्धं ॥१२॥

भगवान शिव की पूजा करने से हमारे सभी कठिनाइयाँ समाप्त होती हैं, वे ही हमारे पथ को सुसज्जित करते हैं, और हर प्रकार की ऐश्वर्य और सम्मान से निस्संदेह पवित्र हैं।

त्रिपुण्ड्र रत्नमूलम्‌ श्रुतिचमत्समानतम्‌ श्रीगुरुगोविन्द परम् शरणं प्रपद्ये।
मम हृदि विशिष्टतां यशः कृपाक्षभरेस्मि मोक्षमध्यस्तरादयत्युपेक्षति न्यमोऽस्मिन ॥१३॥

मैं भगवान शिव की शरण में हूँ, जो सम्पूर्ण धर्म के संरक्षक हैं, और जो अपने कृपा की छांव से मेरे जीवन को रोशन करते हैं, जो मोक्ष प्राप्ति की राह दिखाते हैं।

Time to Recite Shiv Strotam

The ideal time to recite Shiv Strotam is early in the morning, during the Brahma Muhurta, which is approximately 1.5 hours before sunrise. This time is considered highly auspicious for spiritual activities and prayer.

Day to Recite Shiv Strotam

While Shiv Strotam can be recited any day, Mondays are particularly auspicious due to their association with Lord Shiva. Observing a routine of reciting Shiv Strotam on Mondays can enhance the spiritual benefits and blessings.

Benefits of Reciting Shiv Strotam

  • Spiritual Upliftment: Regular recitation of Shiv Strotam helps in attaining spiritual growth and enlightenment.
  • Peace and Calm: It is known to bring mental peace and calmness, reducing stress and anxiety.
  • Removal of Obstacles: Devotees believe that chanting this stotra removes obstacles and helps in overcoming difficulties.
  • Enhancement of Devotion: Reciting Shiv Strotam enhances one's devotion towards Lord Shiva and strengthens the bond with the divine.

Frequently Asked Questions

1. How often should I recite Shiv Strotam?
It is recommended to recite Shiv Strotam daily for maximum benefits, but even occasional recitation with sincerity is beneficial.
2. Can I recite Shiv Strotam in any language?
Yes, you can recite Shiv Strotam in any language you are comfortable with, but reciting in Sanskrit is believed to be more effective due to its original phonetics.
3. Do I need to perform a specific ritual before reciting Shiv Strotam?
No specific ritual is required, but it is advised to take a bath and sit in a clean place to maintain purity while reciting.
4. Can Shiv Strotam be recited during difficult times?
Yes, reciting Shiv Strotam during challenging times is believed to provide strength and divine assistance in overcoming obstacles.