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Ravivar Vrat Katha, Puja Vidhi, Aarti in Hindi
Ravivar (रविवार) Sunday Vrat Katha (व्रत कथा Vidhi : हिन्दू धर्म में हर दिन किसी न किसी देव की पूजा की जाती है ∣ जिसका विशेष विधि विधान होता है ∣ किन्तु बहुत ही कम लोग जानते हैं रविवार को भी व्रत रखा जाता है और विधि विधान से पूजा की जाती है ∣ ये दिन सूर्य देवता का होता है इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है ∣ अगर आप रविवार का व्रत रखने की सोच रहे किन्तु आपको इसके बारे में कुछ नहीं पता है तो ये लेख आपके लिए ही है∣ जिसमें हम आपको रविवार की पूजन विधि, और कथा बताएगें
रविवार व्रत कथा (Ravivar Vrat Katha in Hindi)
एक नगर में एक बुढ़िया रहा करती थी ∣ वो प्रति रविवार घर को गोबर से लीपकर और फिर भोजन बनाती थी और भगवान को भोग लगाती थी और फिर स्वयं भोजन करती थी ∣
एक दिन उसकी पड़ोसन जिसके घर से वहाँ गोबर लाती थी क्योंकि उसके घर में गाय नहीं थी उसने देखा की इसका घर तो बड़ा सम्पन्न रहता है ∣
घर में भगवान की कृपा से किसी तरह की कमी नहीं है ∣
उस स्त्री ने बुढ़िया को गोबर लेने से मना कर दिया तब बुढ़िया ने रविवार को न भोजन बनाया और न खाया और न ईश्वर को भोग लगाया ∣
तब भगवान सूर्य देव से उसे स्वप्न में कहा: कि तुने आज भोजन क्यों नहीं किया आज तेरा पूरे दिन का निराहार रविवार का व्रत हो गया, तब उसने कहा मेरी पड़ोसन ने गोबर देने से मना कर दिया इसलिए मैंने न आज खाना बनाया,न खाया और न भोग लगाया ∣
तब भगवान सूर्य देव ने कहा मैं तुझे एक गाय और बछड़ा दे रहा हूँ जो तेरी सारी मनोकामनाएं पूरी करेगें ∣
प्रात:जब बुढ़िया उठी तो उसने देखा कि अत्यंत सुंदर उसके आंगन में गाय और उसका बछड़ा है ∣ तभी एक रात्रि को उसकी पड़ोसन ने देखा कि वो गाय सोने का गोबर दे रही है ∣ उसने उस गोबर को उठा लिया और अपनी गाय का गोबर वहाँ रख दिया वहाँ क ई दिनों तक ऐसा ही करती रही तब भगवान ने सोचा की मैं तो बुढ़िया की मदद कर रहता था और ये पड़ोसन उस बुढ़िया के फल को ले रही है ∣
एक दिन भगवान ने बड़ी तेज हवा तूफान चलाया जिसके कारण बुढ़िया ने गाय और बछड़े को घर के अंदर कर लिया और फिर उसने देखा कि वो तो सोने का गोबर देती है ∣ तो वो प्रतिदिन गाय और बछड़े को घर के अंदर रखने लगी तब पड़ोसन को उसे ईर्ष्या होने लगी और उसने राजा के महल में जाकर सभा में कहा कि मेरी पड़ोसन के पास एक गाय और उसका बछड़ा है जो प्रति दिन सोने का गोबर देती है ∣
मुझें लगता है, कि वो आपके महल के योग्य है ∣ भला हो बुढ़िया इतना सोना क्या करेगी तब राजा ने सिपाही को उस गाय और बछड़े को लाने को कहा वो बुढ़िया बहुत रोई पर किसी ने उसकी एक न सुनी तब भगवान राजा पर बहुत क्रोधित हुए और पूरा महल गोबर से भर दिया
और राजा को स्वप्न में कहा: कि अरे मूर्ख तु इस गाय को अभी के अभी उस बुढ़िया के घर भेजा मैंने उसे ये गाय दी अगर तुने ऐसा नहीं किया तो तु परिणाम भुगतने को तैयार हो जा तब राजा ने उस गाय और बछड़े को बुढ़िया के घर छोड़ने को कहा और साथ ही उसकी पड़ोसन को दण्ड देने क़ो कहा सिपाहियों ने वैसा ही किया और फिर राजा ने सारे नगर को ये आदेश दिया कि वो सभी नगरवासी हर रविवार का व्रत करें इसके प्रभाव से सारे नगर के लोग सुखी जीवन व्यतीत करने लगे ∣
रविवार की आरती
कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकि जोति विराजे ।। टेक
सात समुद्र जाके चरण बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम ।
कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मन्दिर दीप धरे हो राम ।
भार उठारह रोमावलि जाके, कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम ।
छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे, कहा भयो नैवेघ धरे हो राम ।
अमित कोटि जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम ।
चार वेद जाके मुख की शोभा, कहा भयो ब्रहम वेद पढ़े हो राम ।
शिव सनकादिक आदि ब्रहमादिक, नारद मुनि जाको ध्यान धरें हो राम ।
हिम मंदार जाको पवन झकेरिं, कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम ।
लख चौरासी बन्दे छुड़ाये, केवल हरियश नामदेव गाये ।। हो रामा ।
रविवार की आरती
कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकि जोति विराजे ।। टेक
सात समुद्र जाके चरण बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम ।
कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मन्दिर दीप धरे हो राम ।
भार उठारह रोमावलि जाके, कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम ।
छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे, कहा भयो नैवेघ धरे हो राम ।
अमित कोटि जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम ।
चार वेद जाके मुख की शोभा, कहा भयो ब्रहम वेद पढ़े हो राम ।
शिव सनकादिक आदि ब्रहमादिक, नारद मुनि जाको ध्यान धरें हो राम ।
हिम मंदार जाको पवन झकेरिं, कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम ।
लख चौरासी बन्दे छुड़ाये, केवल हरियश नामदेव गाये ।। हो रामा ।
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