"बुध / BUDH"

"बुध की उत्पत्ति से जो कथा जु़डी है, वह है चंद्रमा द्वारा बृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण. गर्भवती होने पर तारा ने बृहस्पति के डर से गर्भ को इशीकास्तम्ब में विसर्जित कर दिया. इशीकास्तम्ब से जब दीप्तिमान एवं सुंदर बालक बुध का जन्म हुआ तो चंद्रमा एवं बृहस्पति दोनों ने ही उसे अपना पुत्र माना तथा जातकर्म संस्कार करना चाहा. जब यह विवाद बहुत अधिक बढ़ गया, तब ब्रह्मा जी ने अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए हस्तक्षेप किया. ब्रह्मा जी के पूछने पर तारा ने उसे चंद्रमा का पुत्र होना स्वीकार किया तथा ब्रह्मा जी ने उस बालक को चंद्रमा को दे दिया. चंद्रमा के पुत्र माने जाने के कारण बुध को क्षत्रिय माना गया, यदि उन्हें बृहस्पति का पुत्र माना जाता तो ब्राह्मण माना जाता. चंद्रमा ने बुध के पालन-पोषण का दायित्व अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी को दिया. रोहिणी द्वारा पालन-पोषण किए जाने के कारण बुध का नाम रौहिणेय भी है. बुध सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकट स्थित ग्रह है. यह व्यक्ति को विद्वता, वाद-विवाद की क्षमता प्रदान करता है. यह जातक के दांतों, गर्दन, कंधे व त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है. यह कन्या राशि में उच्च एवं मीन राशि में नीच का होता है. बुध से जु़डा सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण धर्म अनुकूलनशीलता है. हर हाल में खुद को ढाल लेना सिर्फ बुध प्रधान व्यक्ति ही कर सकता है. भयानक तूफानों में जहां बडे-बडे दरख्त धराशायी हो जाते हैं, वहां वो नाजुक लचीले व कोमल पौधे बच जाते हैं जो झुककर तूफानों के निकल जाने का इंतजार करते हैं. बुध की शांति: बुधवार के दिन हरे रंग की चूड़ियां हिजड़े को दान करनी चाहिए. हरी सब्जियां एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए. बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूंग के लड्डुओं का भोग लगाएं तथा बच्चों को बांटें. घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए. अपने घर में कंटीले पौधे, झाड़ियां एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए. फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है."